Info India News I देश की राजधानी में आम आदमी पार्टी का दबदबा खत्म हो गया है. दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम पीएम नरेंद्र मोदी मार्का पॉलिटिक्स की जीत है. ये आम आदमी की जीत है. अहंकार और गुरूर पर मोदी की गारंटी की जीत है. निश्चित ही इसका असर देश भर की राजनीति पर होगा. पंजाब में तो होगा ही.
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की हार के कारण और राष्ट्रीय राजनीति पर इसके असर की चर्चा की करेंगे. इससे पहले दो शेर शायद निष्कर्ष तक पहुंचने में मदद कर दें. जब दोपहर बाद ये तय हो गया कि आम आदमी पार्टी 25 के नीचे सिमट रही है तो अरविंद केजरीवाल प्रकट हुए. बेहद सादगी से हार स्वीकार की.
ये वही केजरीवाल हैं जिन्होंने मंच से कहा था – मेरे जिंदा रहते भारतीय जनता पार्टी दिल्ली में कभी चुनाव नहीं जीत सकती. ये अहंकार. वो भी राजनीति में. हालांकि जनता में या कहिए समर्थकों को शुरू-शुरू में ये रास आया. केजरीवाल खुद को आंदोलन से उपजे नेता और कट्टर ईमानदार कहा करते थे. लेकिन अन्ना को दगा, राजनीति में न आने की कसम और मजबूत करीबियों का ‘विश्वास’ तो उन्होंने पहले फुल टर्म में ही खो दिया. इससे पहले सत्ता के लिए कांग्रेस से हाथ मिला ही चुके थे. वो भी तब जब राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार ने कांग्रेस पर लगे दागों की संख्या बढ़ा दी थी. फिर दूसरे टर्म में पानी-बिजली के साथ शराब भी एक पर एक फ्री मिलने लगा. मतलब सस्ता हो गया. लेकिन पता चला इस एक्साइज पॉलिसी में तो अरविंद केजरीवाल और उनके नंबर टू मनीष सिसोदिया खुद फंसे हैं. करोड़ों का वारा न्यारा हुआ है. फिर लो फ्लोर बस, मोहल्ला क्लिनिक, जल बोर्ड के घपले. मतलब वैकल्पिक राजनीति के अगुआ अन्य मामलों में भी अगुआ नजर आने लगे
ब्लू वैगन आर, मफलर और हवाई चप्पल से शीश महल तक
मतलब न ईमानदारी बची, न सेवा का भाव बचा. सत्ता के लिए होने वाली राजनीति में केजरीवाल पर खुद ऐसा दाग लगा कि वो जेल से निकल बेल पर प्रचार कर रहे थे. फिर भी खुद को ईमानदार कह रहे थे. दूसरी तरफ मोदी मार्का पॉलिटिक्स आप के हर दावे को झूठ बताकर ताड़-ताड़ कर रही थी. सड़कों हालत, हवा में घुला जहर आम आदमी पर सीधा असर डाल रहा था. उधर बिना रोजगार दिए मुफ्त बिजली-पानी मिडल क्लास और स्लम के युवाओं को भी नागवार गुजरा. भाजपा ने दांव खेला और केजरीवाल की मुफ्त योजनाओं को जारी रखते हुए टॉप अप प्लान पेश कर दिया. हरियाणा और कर्नाटक में कांग्रेस की गारंटी फेल हो चुकी थी. दिल्ली बीजेपी के लिए भी थोड़ा टफ था. जो नेता सत्ता में हो उसी की गारंटी पर भरोसा ज्यादा रहा है. ये झारखंड में भी हुआ जहां हेमंत सोरेन की गारंटी पर ही जनता ने भरोसा जताया. लेकिन अरविंद केजरीवाल के अहंकार, उन पर भ्रष्टाचार के लगे आरोपों के देख कर जनता ने तय कर लिया वो यमुना का ‘जहर’ पी कर भी कमल को चुनेंगे. ब्लू वैगन आर, हवाई चप्पल और कौशांबी वाले फ्लैट से निकलने वाले केजरीवाल जब शीशमहल के मालिक बन गए तो पब्लिक ने मन बना लिया. इस सर्दी में तो उनके एक जैकेट पर भी कैमरे की नजर गई. दोस्तों ने बताया 22 हजार का रहा होगा.